Wednesday, March 31, 2010

मोदी होंगे बीजेपी के पीएम कैंडिडेट

आखिरकार भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी को अपना 2014 का पीएम कैंडिडेट घोषित करने का मन बना ही लिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जल्द ही बीजेपी नागपुर में एक प्रेस क्रॉन्फ्रेंस के दौरान इसकी घोषणा करेंगी।

जानकारी के अनुसार बीती रात बीजेपी और संघ के वरिष्ठों के हुई एक सीक्रेट मीटिंग में यह निर्णय लिया गया है। मीटिंग में तय किया गया है कि वर्तमान परिपेक्ष्य में मोदी की लोकप्रियता बढ़ रही है और जिस तरह कांग्रेस के निशाने पर मोदी हैं, ऐसे में बीजेपी अब मोदी को हीरो के तौर पर पेश करेगी। पार्टी के एक बड़े तबके का मानना है कि यही मौका है जब कांग्रेस बनाम मोदी की झड़प को फिर से सेक्युलर बनान हिंदुत्व के तौर पर पेश कर वोटों का धुव्रीकरण किया जा सकता है।

बीजेपी मोदी को पीएम 2014 के रूप में प्रोजेक्ट कर अपने कार्यकर्ताओं को एक स्पष्ट संदेश देना चाह रही है। पार्टी ने चुनावों की तैयारी भी शुरू कर दी है जिसके तहत बीजेपी मोदी के पक्ष में गुजरात की विकास गाथा और बिजनेस टाइकून्स द्वारा मोदी की तारीफ की सीडी पूरे देश में वितरित करेंगी।

बीजेपी में एक बड़ा वर्ग मोदी के खिलाफ भी है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों के अनुसार पिछले हफ्ते पार्टी की कार्यसमिति में इस मसले पर चर्चा हुई और बहुमत मोदी के पक्ष में ही रहा। यहां चौकाने वाली बात यह रही कि आडवाणी के करीबी माने जाने वाले दो प्रमुख नेता, जो सदनों में बीजेपी की शान बढ़ा रहे हैं, भी मोदी के पक्ष में दिखे। मोदी को इतने पहले पीएम 2014 घोषित करने के पीछे बीजेपी पर गहरी नजर रखने वाले विश्लेषकों का कहना है कि संघ अभी से ऐसा करके आडवाणी कैंप को साफ संदेश दे रहा है कि अब आडवाणी युग पूरी तरह खत्म हो गया है। पार्टी में भी कहा जाने लगा है कि चूंकि इस समय देश में यूथ पालिटिक्स का दौर है, इसलिए सिर्फ मोदी ही फिट और हिट हैं।

लेकिन आधिकारिक रूप से संघ ऐसी किसी भी बात पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा है। संघ का कहना है कि इंतजार कीजिए, इंतजार का फल मीठा होता है। वैसे, एसआईटी के सामने हाजिर होने के बाद जिस पॉजिटिव बॉडी लैंग्वेज से मोदी ने मीडिया से बात की, उससे संघ उनसे काफी प्रभावित है। मीटिंग में भगवा बिग्रेड ने मोदी की तारीफ में कहा कि उस दिन खुद कठघरे में खड़े मोदी ने जिस तरह खुद को देशभक्त और अपने विरोधियों को फिजूलवादी कहकर विपक्षियों की हवा निकाली थी, वह काबिल-ए-तारीफ है।

वैसे, संघ सूत्रों ने बीजेपी से साफ तौर पर कह दिया है कि अगर पार्टी को 2014 में केंद्र में अपनी वापसी करनी है, तो मोदी को तुरंत पीएम का कैंडिडेट घोषित किया जाए, संघ के अनुसार बीजेपी में सिर्फ मोदी में ही पीएम मटीरियल है और संघ के एक सर्वे के अनुसार अभी भी जनता में एक बड़ा वर्ग बीजेपी में सिर्फ सिर्फ मोदी को ही 'कुछ कर सकने' वाला नेता मानता है।

यह भी बताया जा रहा है कि मोदी की ओर से भी स्वीकृति मिल गई है। मोदी ने बीजेपी और संघ नेताओं को यह भी आश्वासन दे डाला है कि 2014 के आम चुनाव से ठीक पहले तक अमिताभ बच्चन पूरे देश में भ्रमण कर गुजरात की विकास गाथा सुनाएंगे, जिससे पूरे देश में मोदी की एक विकास पुरुष को तौर पर छवि बढ़ेगी। साथ ही मोदी ने अपने हिंदुत्व एजेंडे को भी अहमियत देते हुए पार्टी प्रमुख गडकरी से गुजारिश की है कि वह चाहते हैं कि वरुण गांधी को अभी से ही चुनावी तैयारी में लगा दिया जाए। सूत्रों के अनुसार मोदी वरुण के बहाने पूरे देश में हिंदुत्व मानसिकता वाले वोटरों को एक सूत्र में बांधना चाहते हैं। साथ ही वरुण के जरिए मोदी राहुल गांधी पर भी निशाना साधा जाएगा।

Thursday, February 4, 2010

सायबरस्क्वैटिंग और टायपो स्क्वैटिंग

सायबरस्क्वैटिंग बुरी नीयत से किसी दूसरे की गुडविल या ट्रेडमार्क के नाम से डोमेन नेम बुक कराने, उससे ट्रेफिक लेने या प्रयोग करने को कहते हैं। डोमेन नेम सिर्फ इन्टरनेट का पता भर नहीं है बल्कि के ट्रेडमार्क या गुडविल का प्रतिनिधित्व भी करता है।

कैसे करते हैं सायबरस्क्वैटर काम
सायबरस्क्वैटर किसी संस्था, व्यक्ति, घटना, समाचार, टेलीविजन प्रोग्राम, फिल्म का नाम, कार के नाम, सेलेब्रिटी का नाम, पुस्तक का नाम वगैरह से डोमेन बुक करा लेते हैं. इन डोमेन आये ट्रेफिक को ये सायबर स्क्वैटर अपने हितों के लिये प्रयोग करते हैं. सायबरस्क्वैटर डोमेन बुक करने के बाद इसे नीलामी पर चढ़ा देते है। सामान्यतया ट्रेडमार्क या गुडविल के धारक सायबरस्क्वैटर से कानूनी लड़ाई से बचते हुये डोमेन नेम खरीद लेते हैं. नीलामी में सबसे अधिक रुचि उक्त डोमेन के ट्रेडमार्क धारक या गुडविल धारक या इनके विरोध में हित रखने वालों की होती है।

क्या सायबरस्कैटिंग का मामला सिर्फ रजिस्ट्रर्ड ट्रेडमार्क के लिये ही किया जा सकता है?
नहीं, यह किसी व्यक्ति संस्था या समूह की साख (Goodwill) के हितों को सुरक्षित रखने के लिये भी किया जा सकता है।
अरुण जेतली भारतीय जनता पार्टी के एक नेता एवं वकील हैं. इनके नाम से डोमेन www.arunjaitley.com अमेरिका की कम्पनी नेटवर्क सोल्यूसन्स के पास था. इस डोमेन नेम को US$14,445 में नीलामी के लिये नेटवर्क सोल्यूसन्स ने पोर्टफोलियो ब्रेन्स को हस्तांतरित कर दिया।

इस नीलामी के खिलाफ अरुण जेतली अदालत में गये और अदालत ने इसे सायबरस्क्वैटिंग का मामला मानते हुये अरुण जेतली के पक्ष में फैसला दे दिया।

http://richdadpoordad.com प्रसिद्द पुस्तक Rich Dad Poor Dad के नाम से बुक किया गया था जिसे बाद में इस पुस्तक की कापीराइट धारक कम्पनी ने प्राप्त कर लिया।

उदाहरण के लिये निम्न डोमेन इन डोमेन के वास्तविक धारकों के पास नहीं हैं।
http://indianidol.com/
http://sunnydeol.com/
http://karishmakapoor.com/
http://i20car.com
http://manojbajpai.com
http://abbastyrewala.com/
http://salmankhan.com


कुछ अन्य उदाहरण

http://tanishq.com
यह नाम टाटा के ज्वैलरी ब्रांड का है लेकिन इसे अन्य ने बुक करा लिया. पिछले बारह साल से भी अधिक समय से टाटा इस पर अधिकार के लिये लड़ रहा है। इस डोमेन नेम पर अधिकार रखने वाले द्वारा इसे शरीर से प्यार रखने वाली बेबसाईट के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट भी Titan Industries Ltd के पक्ष में फैसला सुना चुकी है लेकिन इस पर अभी तक Titan Industries Ltd का अधिकार नहीं हो सका है।

oktatabyebye.com
इस डोमेन नेम पर गुड़गांव की कम्पनी MakeMyTrip का अधिकार है. OK TATA Bye Bye बोल चाल में उपयोग आने वाले सामान्य शब्द हैं। टाटासन्स ने इस पर वाद प्रस्तुत किया कि इस नाम मे प्रयोग होने वाला नाम tata उसका ट्रेडमार्क है। फिलहाल World Intellectual Property Organization (WIPO) ने टाटासन्स के पक्ष में फैसला दे दिया है।

टायपो स्क्वैटिंग क्या है?
टायपो स्क्वैटिंग भी सायबरस्क्वैटिंग का एक रूप है। जब कोई अन्य व्यक्ति किसी डोमेन नेम के स्पेलिंग या टायपो गलती की संभावना वाले डोमेन नेम को अन्य द्वारा बुक करा लेता है।

जब प्रतिद्वन्दी कम्पनिया सायबरस्क्वैटिंग के जरिये दूसरी कम्पनी के कस्टमर हड़पने की कोशिश करतीं है तो यह सायबर स्क्वैटिंग का सबसे बुरा रूप लगता है।

इसका ताजा उदाहरण है goair एयरलाइन द्वारा Indigo एयरलाइन के ग्राहक हड़पने की कोशिश करना।
Indogo Airline की वेबसाईट का नाम है http://goindigo.in टायपो गलती से इसे go-indigo.in भी लिख लिया जाता है। आप http://goindigo.in टायप करेंगे तो Indigo Airline की अधिकृत वेबसाईट पर पहुंचेंगे लेकिन यदि आपने गलती से http://go-indigo.in टायप कर लिया तो Indigo Airline की जगह इसकी प्रतिद्वन्दी एयरलाइन goair पर जा पहुंचेंगे।

एक अन्य रोचक केस
Microsoft बनाम MikeRoweSoft