Tuesday, December 8, 2009

तेलंगाना में चंद्रशेखर राव की तबीयत बिगड़ी,- हजारों की तादाद में लोग सड़कों पर उतरे


पूरे तेलंगाना इलाके में हालात बेकाबू हो गए हैं। हजारों की तादाद में लोग सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं। सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

बुधवार सुबह 15 हजार से ज्यादा स्टूडेंट उस्मानिय यूनिवर्सिटी कैंपस में जमा हुए और उन्होंने प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस दौरान उनकी पुलिस से झड़प भी हुई है। इस झड़प में काफी लोग घायल हुए हैं।

इससे पहले मंगलवार को आंध्र प्रदेश विधानसभा में अलग तेलंगाना राज्य के लिए प्रस्ताव लाए जाने में नाकाम रहने के बाद टीआरएस के सदस्यों ने इस मुद्दे पर सदन की कार्यवाही बाधित की और जमकर हंगामा हुआ। राज्य के मुख्यमंत्री के. रोसैया घबरा कर सोनिया गांधी की शरण में दिल्ली जा रहे हैं

निजाम इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डायरेक्टर के. प्रसाद राव ने संवाददाताओं को बताया राव के चेकअप के बाद डॉक्टरों की टीमने महसूस किया कि उन्हें फौरन अनशन तोड़ देना चाहिए। लेकिन चंद्रशेखर राव उपवास तोड़ने के लिये राजी नहीं हुए। टीआरएस के नेता नयिनी नरसिम्हा रेड्डी ने बताया कि राव ने दवा लेने से भी इनकार कर दिया है, इससे स्थिति गंभीर रही है। उनके मुताबिक, वह पिछले एक हफ्ते से अधिक समय से ठोस आहार नहीं ले रहे हैं।

पूरे तेलंगाना क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन जारी है, जबकि टीआरएस के विधायकों ने राज्य विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करने के लिए मजबूर कर दिया। इससे सदन में कोई कामकाज नहीं हो सका। टीआरएस ने मांग की कि इस क्षेत्र के मंत्री सहित कांग्रेस के विधायकों को इस्तीफा दे देना चाहिए, ताकि उनके पार्टी आलाकमान को जा संदेश जाए और एक अलग राज्य की उनकी मांग स्वीकार कर ली जाए।

Saturday, December 5, 2009

आज का सदविचार : उड़नतश्तरी

"समझदार व्यक्ति इसलिये बोलता है क्यूँकि उसके पास बोलने के लिए कुछ है. बेवकूफ व्यक्ति इसलिए बोलता है क्यूँकि उसे बोलना है."


उडन तश्तरी समीर लाल कनाडे वाले

Friday, November 13, 2009

मुक्तिबोध के साथ तीन दिन : कमलेश्वर



मुक्तिबोध को याद करूँ तो ज़्यादा यादें मेरे पास नहीं हैं पर जो हैं वे अप्रतिम और बहुत कारगर यादें हैं. कई बार ही शंकर परसाई से यह तय हुआ कि राजनादगाँव जाकर मुक्तिबोध से मिलना है.

यह प्रोग्राम कभी बन नहीं पाया क्योंकि मैं उन दिनों ‘सारिका’ में बम्बई था और दौड़ते भागते ही परसाई के पास जबलपुर पहुँच पाता था.

लेकिन इससे भी पहले, बहुत पहले मुक्तिबोध का कुछ ज़रूरी ज़िक्र श्रीकाँत वर्मा के उन दो तीन पत्रों में मौजूद था जो श्रीकाँत वर्मा ने बिलासपुर से लिखे थे, जब मैं इलाहाबाद में था. श्रीकाँत वर्मा शुरू से ही मुक्तिबोध मय थे.

यह प्रगतिशील चेतना का स्वर्णकाल था. पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे. भारत गुटनिरपेक्ष देशों का अग्रदूत था. ग़रीबी उन्मूलन के लिए पँचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत हुई थी. सार्वजनिक सेक्टर को प्राइवेट सेक्टर पर तरजीह दी गई थी.

विश्व शाँति की प्रखर पक्षधरता का वह दौर था और भारत शीतयुद्ध और परमाणु बमों की स्पर्धात्मक होड़ का घनघोर विरोधी था.

साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद, पूँजीवाद और मार्क्सवादी साम्यवाद पर तब तीखी बहसें होती थीं. लोकतांत्रिक भारत की संसद में तब कम्युनिस्ट पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी.

कामरेड पीसी जोशी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जनरल सेक्रेटरी थे. हिंदी सहित भारत की सभी भाषाओं में प्रगतिशील सोच और लेखन का आंदोलन अपने शिखर पर था. तब हिंदी के रचनात्मक साहित्य का केंद्र इलाहाबाद था.

उन्हीं दिनों 1957 में एक विराट साहित्यिक समारोह का आयोजन इलाहाबाद में हुआ था. जिसमें मुक्तिबोध तक शामिल हुए थे. यह आयोजन प्रेमचंद के छोटे बेटे अमृतराय ने किया था. जिन्हें हम अमृत भाई कहते थे.

सुभद्रा कुमारी चौहान की बेटी सुधा उनकी पत्नी और हम सबकी भाभी थीं. शिवानी प्रेमचंद तब इलाहाबाद में ही अमृतराय के पास रहती थीं और हम लोग रोज़ ही उनसे मिलते थे. अमृतराय से मुक्तिबोध की दाँतकाटी दोस्ती थी.

अमृतराय एक छोटी सी सड़क मिंटो रोड पर रहते थे, जहाँ क्नाटीनुमा एक से चार घर थे. पहला घर ओंकार शरद का था दूसरा खाली पड़ा था तीसरे में अमृत भाई और चौथे में दादा श्रीकृष्णदास रहते थे.

मार्कण्डेय उन्हीं के साथ रहते थे और यही मेरा और दुष्यंत कुमार का अड्डा था. यह नई कहानी के उदय का तूफानी दौर था. वैचारिक और रचनात्मक स्तर पर दादा श्रीकृष्णदास पत्रकारिता और लोकधर्मी रंगमंच इप्टा के बानियों में थे.

यहीं सरोजिनी भाभी, श्रीमती कृष्णदास के माध्यम से हम लोगों की ऐतिहासिक मुलाकात डॉ नामवर सिंह से हुई थी. दूसरी ऐतिहासिक मुलाकात दो साल बाद यहीं पर मुक्तिबोध से हुई थी जब वे इलाहाबाद प्रगतिशील साहित्य समारोह में आए थे और दादा श्रीकृष्णदास के घर उनसे मिलने पहुँचे थे.

दुनिया जानती है कि मुक्तिबोध वामपंथी कम्युनिस्ट विचारधारा के प्रबल समर्थक थे. उन्होंने जो बातें दादा श्रीकृष्णदास और बाद में मार्कण्डेय, दुष्यंत और हमसे कीं उसके शब्द ज़रूर दूसरे हैं पर सर्वहारा की सशस्त्र क्राँतिवादी सोच के उन दिनों में मुक्तिबोध ने जो बातों बातों में कहा वह मेरे दिमाग में आज भी उत्कीर्ण है.

बीड़ी का गहरा सुट्टा लगाते हुए वे बोले थे पार्टनर रूसी या फ्राँसीसी क्राँति का आयात नहीं किया जा सकता. प्रत्येक क्राँति अपनी ज़मीनी सच्चाइयों और कारणों से जन्मेगी. तब तुम ग़ैरबराबरी मिटाकर बराबरी लाने की बात करोगे तो लोग तुम्हें समाजवादी कहेंगे लेकिन जैसे ही तुम ग़ैरबराबरी के कारणों की तलाश करना शुरू करोगे लोग तुम्हें कम्युनिस्ट कहना शुरू कर देंगे.

इसे मंजूर करना भाषा की कभी परवाह मत करना. महाजनी सभ्यता से कम ख़तरनाक और कम क्रूर नहीं है व्यवसायी शोषक सभ्यता.

दुकानदारी और कर्जदारी. तलाश करना ज़रूरी है कि सभ्यता का अड्डा तिरछा विकास क्यों हुआ है. विचारों के जनसंघर्ष के लिए जनतंत्र ज़रूरी है. सर्वहारा की तानाशाही एक मिथकीय मुहावरा है. पर इस राजनीतिक मिथक को ध्वस्त और पराजित होने से बचाना भी ज़रूरी है आदि आदि.

समारोह में तो मुक्तिबोध, शमशेर बहादुर सिंह और नरेश मेहता मिलते ही थे पर मुक्तिबोध खासतौर से शमशेर बहादुर सिंह के बहादुरगंज वाले एक कमरे के मकान में गए थे. मैं ही उन्हें लेकर गया था. वहाँ वे शमशेर भाई से उनके छोटे भाई तेज बहादुर चौधरी के बारे में बातें करते रहे थे. बीच बीच में मैं उन्हें इलाहाबाद की मशहूर लाल मोहम्मद बीड़ी सुलगा सुलगा कर देता रहा था.

आतंकवादी हेडली का 'राहुल' महेश भट्ट का बेटा निकला

आखिरकार खुफिया एजेंसियों ने पता लगा लिया है कि लश्कर-ए-तोएबा के डेविड कोलेमन हेडली द्वारा अपनी ईमेल में इस्तेमाल किया गया नाम राहुल, राहुल गांधी या शाहरुख खान नहीं, बल्कि जाने-माने फिल्म निर्माता महेश भट्ट का बेटा राहुल भट्ट है।

पता चला है कि राहुल एफबीआई द्वारा अरेस्ट किए गए हेडली का दोस्त रहा है। हालांकि खुफिया एजेंसियों ने राहुल को करीब-करीब क्लीन चिट दे दी है। हेडली के मुंबई में रहने के दौरान राहुल ने उसे यहां किराये पर फ्लैट दिलाने में भी मदद की। राहुल ने हेडली का दोस्त होने की बात स्वीकार की है, लेकिन राहुल का कहना है कि उस वक्त वह उसके बैकग्राउंड और लश्कर कनेक्शन के बारे में नहीं जानता था।

जब इस बारे में महेश भट्ट से बात की गई, तो उन्होंने इस बात से ना तो इनकार किया और ना ही स्वीकार किया कि उनके बेटे से खुफिया एजेंसियों ने पूछताछ की है। किसी भी मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिये हमेशा तैयार बड़बोले महेश भट्ट ने कहा, 'यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है ना कि बॉलिवुड से जुड़ा। इसलिए इस बारे में आपको सुरक्षा एजेंसियों से बात करनी चाहिए। मैं इस बारे में कुछ नहीं कहूंगा।'

राहुल ने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर रखा है।

Wednesday, November 11, 2009

क्या मांसाहार से लोग हिंसक हो जाते हैं?

महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा है कि कैदियों को भोजन में मांस परोसना संभव नहीं है क्योंकि इससे हिंसक प्रवृत्ति बढ़ेगी और हालात बेकाबू हो सकते हैं।

सरकार ने कहा है कि अदालत द्वारा सुझाए गए तीनों विकल्प डिब्बाबंद भोजन परोसना, जेलों के बाहर से भोजन का ऑर्डर देना या जेल के रसोईघर में मांसाहार तैयार करना व्यावहारिक नहीं हैं।

जस्टिस बिलाल नाजकी ने 1993 बम विस्फोट के सजायाफ्ता सरदार शाहवाली खान की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया जिसमें जेल की कैंटीन में मांसाहारी भोजन की पर प्रतिबंध का विरोध किया गया है।

सरकार ने पिछले साल जेलों में मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध को लेकर सर्कुलर जारी किया था जो पहले महाराष्ट्र जेल के मैन्यूअल में शामिल था। जेल के अधिकारियों ने भी कैदियों को मांसाहारी भोजन देना बंद कर दिया था। इससे नाराज 1993 बम विस्फोट के सजायाफ्ता सरदार शाहवाली खान ने सर्कुलर को चुनौती दे दी।

पूरी खबर यहां थी

Tuesday, November 10, 2009

अब जनसत्ता भी प्रगति की राह में,

खुशियां, आज के जनसत्ता का मुखपृष्ठ इसके खुशहाली की राह पर चल पड़ने का संकेत दे रहा है।

Monday, November 9, 2009

मस्जिद के सामने मुसलमानों ने गाया राष्ट्रगीत

देवबंद के फतवे को धता बताते हुए बैतूल बाजार की जामा मस्जिद के इमाम हाफिज अब्दुल राजिक की अगुआई में मुसलमान समुदाय के एक समूह ने मस्जिद के सामने राष्ट्रगीत गाया। बैतूल बाजार की जामा मस्जिद के इमाम हाफिज अब्दुल राजिक के न्यौते पर इस सामूहिक गान को देखने के लिए मस्जिद के सामने विभिन्न संप्रदाय के कई लोग जमा हुए।

इस समारोह का आयोजन रुक्मणि बालाजी मंदिर की ओर से किया गया। पहले एक मंदिर के सामने राष्ट्रगीत गाकर भारत माता नाम से रैली निकाली गई। जब यह रैली मस्जिद के सामने पहुंची तो इमाम ने लोगों से वंदेमातरम गानी की अपील की। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वंदेमातरम न गाने के लिए जारी किए गए फतवे को ही आड़े हाथ लिया है। बोर्ड के सदस्य मौलाना हमीदुल हसन ने कहा कि अगर मुसलमान राष्ट्रगीत वंदेमातरम गाते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है।

Wednesday, October 28, 2009

अभी नक्सलियों का खतरनाक रूप सामने आना बाकी

अंदरुनी मोर्चे पर लगातार सरकार को चुनौती दे रहे नक्सलवादियों के तार विदेशी संगठनों से भी जुड़े हुए हैं। लिट्टे के साथ-साथ उत्तर-पूर्व और पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठनों से उनके संपर्को के खुलासे लगातार हो रहे हैं। खुफिया एजेंसियों व सुरक्षा बलों की मानें तो अभी नक्सलियों के आधुनिक हथियारों से सुसज्जित और खतरनाक कमांडो तो पूरी तरह से सामने आए ही नहीं हैं।

खुफिया सूत्रों के मुताबिक, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और लिट्टे से लेकर पूर्वोत्तर के उल्फा तक नक्सलियों को हथियार व गोला-बारूद की आपूर्ति करता रहा है। इनमें भी नक्सली सबसे ज्यादा प्रभावित श्रीलंका के चीतों यानी लिट्टे से रहे हैं। केरल के जंगलों में लिट्टे के लड़ाकों ने नक्सलियों को कमांडों प्रशिक्षण दिया, ऐसी सूचनाएं भी आईबी. को मिली थीं। इसीलिए, जब लिट्टे के चीतों को श्रीलंका की सेना ने आक्रामक अभियान चलाकर साफ कर दिया तो नक्सलियों ने अपने कमांडरों और काडर को सतर्क कर दिया कि लिट्टे जैसी गलती न दोहराएं। वास्तव में श्रीलंका में लिट्टे के सफाये और देश में संप्रग सरकार की वापसी के बाद सीपीआई (माओवादी) के पोलित ब्यूरो ने इसी साल 12 जून को बैठक की। इसमें उन्होंने अपनी आगामी रणनीति का एक लंबा चौड़ा दस्तावेज तैयार किया।

इन दस्तावेजों में नक्सलियों की मोबाइल वारफेयर रणनीति और दूसरे आतंकी संगठनों के साथ संबंधों का जिक्र है। माओवादियों ने अन्य संगठनों से भी अपील की है कि वे जम्मू-कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर में जगह-जगह वारदातों को अंजाम दें ताकि सरकार एक जगह फोकस न कर सके। उन्होंने चेताया भी है कि अगर एक साथ मिलकर न लड़े तो एक-एक करके सरकार सबको ठिकाने लगाने का प्रयास करेगी।

नक्सलियों ने दूसरे आतंकी संगठनों को चेताया था कि सरकार गुरिल्ला युद्ध में कोबरा जैसे बल बना रही है, जिसमें अभी 5 साल का समय लगेगा। उससे पहले जरूरी है कि अलग-अलग जगहों पर हम दुश्मनों के सामने इतने मोर्चे खोल दें कि उनके लिए सुरक्षा बलों को एक जगह रखना मुश्किल हो जाए। इस रणनीति के तहत नक्सलियों ने तो जगह-जगह मोर्चे खोल दिए हैं। हालांकि, अभी उन्होंने आधुनिक हथियारों से लैस अपने 6 हजार कमांडों की ताकत को बचाकर रखा है।

राजकिशोर - नई दिल्ली

क्या अजित वडनेरकर भारत के सबसे पहले ऑनलाईन पत्रकार हैं?

आज प्रात:काल अ-ब्लागर अजित बडनेरकर की ओजस्वी चिठ्ठापोस्ट पढ़ी जिसे ब्लागर के एडिट आप्शन में जाकर लिखा गया था। कमाल की वक्तता थी। इसमें निम्न जानकारियां प्राप्त हुई

: अजित वडनेरकर 89 से ऑनलाईन पत्रकार-कर्म कर रहे हैं। आदि चिठ्ठाकार कौन है इस पर तो लगभग सहमति है। आदि आनलाइन पत्रकर कौन है, आज इस पर अजित वडनेरकर ने अपना दावा ठोक दिया है?


: चिठ्ठाकारों में उत्सुकता थी की ब्लागर को निमंत्रित करने का क्या पैमाना था, रहस्य पता चला कि इसके लिये सकारात्मक सोच होना आवश्यक था।


जो नकारात्मक सोच रखते हैं वह व्यर्थ में क्यों कुलबुला रहे हैं?

Tuesday, October 27, 2009

ट्रेन को हाईजैक करने वाले इन अपहर्ताओं के साथ क्या करना चाहिये?

आज दोपहर राजधानी एक्सप्रेस अपहर्ताओं द्वारा हाईजैक करली गई, ये अपहर्ता जेल में बंद अपने साथी की रिहाई चाहते हैं,

क्या करना चाहिये इन अपहर्ताओं के साथ?

Friday, October 23, 2009

'मेरी बेटी का कत्ल हुआ, जज Cyriac Joseph पर केस चलाने दो'

सिस्टर अभया के पिता ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट के एक जज Cyriac Joseph के खिलाफ जांच की मांग की है। सिस्टर अभया 17 साल पहले कोट्टायम के एक कॉन्वेंट में मृत पाई गई थीं। उनके पिता का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के सिरियाक जोसफ (Cyriac Joseph) ने इस केस को प्रभावित करने की कोशिश की है।

अभया के पिता ए. थॉमस ने अपने खत में लिखा है कि या तो जोसफ (Cyriac Joseph) के खिलाफ जांच की जाए या मुझे जज पर आईपीसी की धाराओं का उल्लंघन करने का केस चलाने की मंजूरी दी जाए। यह जानकारी उनके वकील ए. एक्स. वर्गीज ने दी। वर्गीज ने बताया कि मई 2008 में जोसफ (Cyriac Joseph) बेंगलुरु की उस लैब में गए थे जहां अभया मर्डर केस के तीन आरोपियों का नारको टेस्ट कराया जा रहा था। इस समय मामला अदालत में था और सीबीआई केस की जांच कर रही थी। इसके अलावा मर्डर के अगले दिन भी जोसफ (Cyriac Joseph) कॉन्वेंट गए थे उस समय वह अडिशनल एडवोकेट जनरल थे। वर्गीज के मुताबिक, इससे पता चलता है कि जज जोसफ (Cyriac Joseph) इसे दबाने की साजिश में शामिल हैं। इसकी जांच होनी चाहिए।

गौरतलब है कि सिस्टर अभया का शव 27 मार्च 1992 को कोट्टायम कॉन्वेंट में एक कुएं के भीतर पाया गया था। सीबीआई ने इस सिलसिले में 19 नवंबर 2008 को तीन लोगों को अरेस्ट किया था। हालांकि बाद में इन्हें 1 जनवरी को बेल मिल गई थी। सीबीआई ने केरल हाई कोर्ट को बताया कि जोसफ ने नारको टेस्ट की सीडी की जांच की थी और उसे सही बताया था। दूसरी तरफ, अभया के पिता का कहना है कि यह सीडी ऑरिजनल नहीं है।

Thursday, October 15, 2009

भारत ने फिर चीन को फटकारा, बांध न बनाने को कहा

भारत ने चीन के खिलाफ एक और मोर्चा खोलते हुए कहा कि वह चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी पर बड़े बांध के निर्माण के खिलाफ है और इस खबर की जांच कर रहा है कि इंकार किये जाने के बावजूद क्या चीन इस चोरी चुपके से इस परियोजना पर कार्य कर रहा है।

चीन की ओर से नदी पर बांध का निर्माण शुरू किए जाने की मीडिया में आई खबरों पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि पिछले तीन साल में बैठकों के दौरान भारत ने ऐसी परियोजनाओं से नीचे की ओर बहाव में रहने वाले लोगों के सामाजिक-आर्थिक जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ने की बात कही गई।

साल 2006 के बाद से इस मुद्दे पर विशेषज्ञ स्तर की तीन बैठकों में उल्लेख की बात करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विष्णु प्रकाश ने कहा भारतीय पक्ष ने चीनी पक्ष की ओर से ब्रह्मपुत्र नदी का रुख मोड़ने की परियोजना या बड़ा बांध बनाने की खबरों से जुड़ा मुद्दा उठाया है। भारतीय पक्ष ने चीन की ओर से ऐसी कोई गतिविधि न शुरू किए जाने की उम्मीद जताई जिससे नदी जल के रूख में परिवर्तन होता हो और नीचे की ओर बहाव के क्षेत्र में आर्थिक-सामाजिक जीवन प्रभावित हो।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने इससे पहले भी ऐसे किसी बांध के निर्माण पर आपत्ति जताई थी और चीन ने ऐसी किसी योजना के बारे में सिरे से इंकार किया था।

उनकी यह टिप्पणी मीडिया में आई उन खबरों के बाद आई है कि चीन ने नागमू पनबिजली परियोजना के हिस्से के तौर पर नदी पर बांध बनाने का काम शुरू कर दिया है। नागमू पनबिजली परियोजना की शुरुआत 16 मार्च को हुई थी।

Monday, October 12, 2009

हत्यारे नक्सलियों ने रेलवे स्टेशन फूंका, ब्लॉक ऑफिस उड़ाया

बिहार के लखीसराय जिले के बंशीपुर रेलवे स्टेशन पर सोमवार देर रात हत्यारे नक्सलियों ने धावा बोलकर तोड़फोड़ की और वहां रखे कागजातों को आग के हवाले कर दिया। दूसरी ओर मंगलवार तड़के नक्सलियों ने मुंगेर जिले के संग्रामपुर ब्लॉक ऑफिस के भवन को विस्फोटक लगाकर उड़ा दिया।

पुलिस के अनुसार हत्यारे नक्सलियों ने मंगलवार तड़के करीब 3 बजे संग्रामपुर ब्लॉक ऑफिस पर आ धमके और विस्फोटक लगाकर कार्यालय भवन को उड़ा दिए।

संग्रामपुर थाना के प्रभारी किशोर कुमार ने बताया कि इस घटना में प्रखंड कार्यालय का भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। साथ ही यहां रखे फर्नीचर और कागजातों को भी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने बताया कि घटना को अंजाम देने के बाद नक्सली फरार हो गए।

इससे पहले आतंकवादी नक्सली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के करीब 40-50 नक्सली रात के करीब 12 बजे रेलवे स्टेशन पर हमला कर सहायक स्टेशन मास्टर (एएसएम) ए. के. गौड़ सहित स्टेशन पर तैनात कर्मचारियों को बंधक बना लिया।

आतंकवादी नक्सलियों ने स्टेशन के कंट्रोल पैनल सहित सभी कागजातों को क्षतिग्रस्त कर दिया। घटना को अंजाम देने के बाद जाते वक्त सभी कागजातों में आग लगा दी।

राजकीय रेल पुलिस, जमालपुर के एसपी विमल कुमार ने मंगलवार को बताया कि घटना के बाद किउल-झाझा रेलखंड पर ट्रैफिक ठप हो गया था, जिसे सुबह आरंभ कर दिया गया। उन्होंने कहा कि आतंकवादी नक्सलियों के खिलाफ छापामारी अभियान तेज कर दिया गया है। साथ ही पूरे मामले की जांच प्रारंभ कर दी गई है।

गौरतलब है कि सीपीआई(माओवादी) ने बिहार और झारखंड में बीते सोमवार से 2 दिवसीय बंद का ऐलान कर रखा है।

झारखंड में हत्यारे माओवादियों का तांडव

बिहार और झारखंड में माओवादियों ने दो दिनों के बंद के शुरू होते ही तांडव मचाना शुरू कर दिया है। बोकारो में माओवादियों ने रेलवे
ट्रैक और गिरीडीह में एक पुल को उड़ा दिया है। इसके अलावा नक्सलियों ने कई ट्रकों को भी आग के हवाले कर दिया है। माओवादियों के बंद को देखते हुए दोनों राज्यों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। कार्रवाई के लिए हवाई सर्वे करके माओवादियों के ठिकानों का पता लगाया जा रहा है।

दो दिनों के इस बंद का आयोजन सीपीआई (माओवादी)ने उनके कथित आंदोलन को सुरक्षा बलों के जरिए काबू में करने की कोशिशों के विरोध में किया है।

माओवादियों ने तड़के बोकारो के निकट झरनडीह में रेलवे ट्रैक को उड़ा दिया। धनबाद डिवीजन के जनसंपर्क अधिकारी अरिंदम दास ने बताया कि विस्फोट करीब ढाई बजे हुआ रेल ट्रैक क्षतिग्रस्त होने से धनबाद डिवीजन की इस लाइन पर शक्तिपुंज एक्सप्रेस जैसी कुछ ट्रेनों के प्रभावित होने की खबर है।
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गिरीडीह के एसपी रविकांत धान ने बताया कि डुमरी में करीब नक्सलियों तीन ट्रकों को आग के हवाले कर दिया और धमाके भी किए। इससे पहले रात को जीटी रोड पर लेधाटांड़ के पास एक बस पर फायरिंग की। नक्सलियों ने बंद के दौरान बस नहीं चलाने की चेतावनी भी दी। देर रात तक सैकड़ों की संख्या में नक्सलियों ने जीटी रोड को कब्जे में कर रखा था। माओवादियों ने डुमरी-गिरीडीह रोड पर ट्रैफिक को रोकने के लिए पेड़ों को काट कर रास्ते पर रख दिया।

उन्होंने बताया कि माओवादियों ने डुमरी को जीटी रोड से जोड़ने वाले रास्ते पर पड़ने वाले एक पुल को भी विस्फोटकों से आंशिक तौर पर नुकसान पहुंचाया। धान ने बताया कि इलाके में गोलीबारी की आवाजें भी सुनाई दीं।

Saturday, October 10, 2009

एनजीओ के जरिए विदेशी पैसा पा रहे हैं नक्सली

पश्चिम बंगाल पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को कहा है कि कुछ गैर सरकारी संगठनों के जरिए नक्सलियों के पास विदेशों से आर्थिक मदद पहुंच रही है।

राज्य के पुलिस महानिदेशक भूपिंदर सिंह ने मीडियाकर्मियों को बताया कि कुछ गैर सरकारी संगठनों द्वारा जनजातियों के कल्याण के नाम पर लिए जा रहे विदेशी धन का कुछ हिस्सा नक्सलियों के पास पहुंच रहा है।

भूपिंदर सिंह ने कहा है कि भूमि उच्छेद प्रतिरोध समिति (बीयूपीसी) के साथ नक्सलियों के संबंध हैं। तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस जैसी कुछ पार्टियां बीयूपीसी का हिस्सा हैं।

नंदीग्राम में तृणमूल कांग्रेस के नेता और सोनाचुरा ग्राम पंचायत प्रमुख निशिकांत मंडल की हाल में हुई हत्या के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि यह अपवित्र गठजोड़ के पतन का एक परिणाम था।

दम तोड़ते रहे पुलिसवाले, नहीं आया हेलिकॉप्टर

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में हत्यारे माओवादियों के हमले के बाद खून से लहूलुहान और मदद के लिए तड़पते पुलिसकर्मी। वे वॉकी-टॉकी से अपने अधिकारियों को एक हेलिकॉप्टर भेजने की मिन्नत कर रहे थे। लेकिन हेलिकॉप्टर चंद किलोमीटर दूर होने के बाद भी नहीं पहुंचा। क्योंकि हेलिकॉप्टर चुनावी रैली में आए कांग्रेसी नेताजी की सेवा में था।

गढ़चिरौली में 300 हत्यारे माओवादियों ने 40 पुलिसकर्मियों के दल पर हमला बोल दिया था। इससे ठीक 24 घंटे पहले कांग्रेस के उम्मीदवार धर्मराव बाबा आत्राम चुनावी रैली के लिए वहां हेलिकॉप्टर से आए। इस हमले में 17 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। बाकी जो बचे वह अपने घायल साथियों के लिए अधिकारियों से वॉकी-टॉकी से मदद की गुहार लगाते रहे। उन्हें भरोसा दिलाया गया कि उनके घायल साथियों की मदद के लिए हेलिकॉप्टर भेजा जा रहा है। लेकिन पांच घंटे गुजर गए, हेलिकॉप्टर नहीं आया।

इस हमले में बचे जवानों की जुबान पर बस एक ही सवाल है। आखिर वह हेलिकॉप्टर क्यों नहीं आया? कुछ जवान नाम न छापने की बात पर कहते हैं अगर हेलिकॉप्टर से मदद मिल जाती,तो उनके इतने साथी जान न गंवाते। यदि हेलिकॉप्टर वहां से गुजरता भी तो हत्यारे माओवादी उससे ही डर जाते। बिना किसी मदद के हम अपने साथियों को दम तोड़ते देखते रहे।

DGP (इलेक्शन) अनामी राय ने नागपुर में कुछ दिन पहले कहा था कि गढ़चिरौली में 4 हेलिकॉप्टर तैनाती के लिए तैयार हैं। लेकिन अभी तक वहां एक भी हेलिकॉप्टर नहीं है। 17 शहीद पुलिसकर्मियों का जब अंतिम संस्कार हो रहा था, तो वहां हेलिकॉप्टर से पहुंचे गृह मंत्री जयंत पाटिल को देखकर जवानों के घाव हरे हो रहे थे।

अपने रिश्तेदार सुरेश को इस हमले में खो देने वाले रमेश दुर्गे ने कहा, 'सरकार को नेताओं को हेलिकॉप्टर देने में कोई परेशानी नहीं है। लेकिन जब गढ़चिरौली मे जवानों की जान बचाने के लिए हेलिकॉप्टर भेजने की बात आई तो दिक्कत आ गई। क्या हमारी जान की कोई कीमत नहीं है।?

Tuesday, October 6, 2009

हत्यारे माओवादियों ने अगवा इंस्पेक्टर का सिर काटा

हत्यारे माओवादियों ने अगवा किए गए पुलिस इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की गला काट कर हत्या कर दी है। फ्रांसिस को हफ्ताभर पहले अगवा कर लिया गया था। उनके बदले तीन नक्सली नेताओं की रिहाई की मांग की जा रही थी। इन नेताओं में कोबाड़ घांदी का नाम भी शामिल है।

इस बहादुर इंस्पेक्टर के परिवार ने भी सरकार से कह दिया था कि फ्रांसिस के बदले किसी को न छोड़ा जाए।

रांची के एसपी (रूरल) हेमंत टोपो ने बताया कि राज्य पुलिस की खुफिया ब्रांच में काम कर रहे 37 वर्षीय इंदवार का शव उनके कटे हुए सिर के साथ यहां से करीब 12 किलोमीटर दूर नामकोम पुलिस स्टेशन के तहत राइशा घाटी के पास बरामद किया गया।

हत्यारे माओवादियों ने 30 सितंबर को यहां से करीब 70 किलोमीटर दूर खूंटी जिले के हेमब्रोम बाजार से इंदवार का अपहरण कर लिया था। उनके परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं।

खबरों के मुताबिक माओवादियों ने अधिकारी को छोड़ने के बदले तीन नक्सली नेताओं घांदी, छत्रधर महतो और भूषण यादव की रिहाई की मांग की थी।

संगठन के दक्षिण छोटानागपुर समिति के सचिव समरजी ने शनिवार को एक लोकल अखबार को फोन कर अधिकारियों तक अपनी मांग पहुंचाई थी।

Tuesday, September 29, 2009

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रूबरू करते

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रूबरू करते
हम और बुलबुल-ए-बेताब गुफ़्तगू करते

पयाम बर न मयस्सर हुआ तो ख़ूब हुआ
ज़बान-ए-ग़ैर से क्या शर की आरज़ू करते

मेरी तरह से माह-ओ-महर भी हैं आवारा
किसी हबीब को ये भी हैं जुस्तजू करते

जो देखते तेरी ज़ंजीर-ए-ज़ुल्फ़ का आलम
असीर होने के आज़ाद आरज़ू करते

न पूछ आलम-ए-बरगश्ता तालि-ए-"आतिश"
बरसती आग में जो बाराँ की आरज़ू करते

रचनाकार: ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश'