भारत ने चीन के खिलाफ एक और मोर्चा खोलते हुए कहा कि वह चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी पर बड़े बांध के निर्माण के खिलाफ है और इस खबर की जांच कर रहा है कि इंकार किये जाने के बावजूद क्या चीन इस चोरी चुपके से इस परियोजना पर कार्य कर रहा है।
चीन की ओर से नदी पर बांध का निर्माण शुरू किए जाने की मीडिया में आई खबरों पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि पिछले तीन साल में बैठकों के दौरान भारत ने ऐसी परियोजनाओं से नीचे की ओर बहाव में रहने वाले लोगों के सामाजिक-आर्थिक जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ने की बात कही गई।
साल 2006 के बाद से इस मुद्दे पर विशेषज्ञ स्तर की तीन बैठकों में उल्लेख की बात करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विष्णु प्रकाश ने कहा भारतीय पक्ष ने चीनी पक्ष की ओर से ब्रह्मपुत्र नदी का रुख मोड़ने की परियोजना या बड़ा बांध बनाने की खबरों से जुड़ा मुद्दा उठाया है। भारतीय पक्ष ने चीन की ओर से ऐसी कोई गतिविधि न शुरू किए जाने की उम्मीद जताई जिससे नदी जल के रूख में परिवर्तन होता हो और नीचे की ओर बहाव के क्षेत्र में आर्थिक-सामाजिक जीवन प्रभावित हो।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने इससे पहले भी ऐसे किसी बांध के निर्माण पर आपत्ति जताई थी और चीन ने ऐसी किसी योजना के बारे में सिरे से इंकार किया था।
उनकी यह टिप्पणी मीडिया में आई उन खबरों के बाद आई है कि चीन ने नागमू पनबिजली परियोजना के हिस्से के तौर पर नदी पर बांध बनाने का काम शुरू कर दिया है। नागमू पनबिजली परियोजना की शुरुआत 16 मार्च को हुई थी।
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1 comment:
कब्जाए हुए तिब्बत में चीन द्वारा अवैध निर्माण कार्य करने से पहले ही हिमाचल में बाधें आ चुकी हैं. भारत सरकार को सोचना चाहिए कि सिर्फ निर्माण न करने का अनुरोध कर देने भर से जिम्मेदारी पूरी नहीं हो जाती है.
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