देवबंद के फतवे को धता बताते हुए बैतूल बाजार की जामा मस्जिद के इमाम हाफिज अब्दुल राजिक की अगुआई में मुसलमान समुदाय के एक समूह ने मस्जिद के सामने राष्ट्रगीत गाया। बैतूल बाजार की जामा मस्जिद के इमाम हाफिज अब्दुल राजिक के न्यौते पर इस सामूहिक गान को देखने के लिए मस्जिद के सामने विभिन्न संप्रदाय के कई लोग जमा हुए।
इस समारोह का आयोजन रुक्मणि बालाजी मंदिर की ओर से किया गया। पहले एक मंदिर के सामने राष्ट्रगीत गाकर भारत माता नाम से रैली निकाली गई। जब यह रैली मस्जिद के सामने पहुंची तो इमाम ने लोगों से वंदेमातरम गानी की अपील की। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वंदेमातरम न गाने के लिए जारी किए गए फतवे को ही आड़े हाथ लिया है। बोर्ड के सदस्य मौलाना हमीदुल हसन ने कहा कि अगर मुसलमान राष्ट्रगीत वंदेमातरम गाते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है।
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13 comments:
सार्थक कदम है.
यह साम्प्रदायिक ताकतों को करारा जवाब है।
सार्थक कदम
ये है सच्चे भारतीय जिनपर हमेशा हमे गर्व रहता है।
शाबास!
इसे कहते हैं राष्ट्रभक्ति का जज्बा!
यह खुराफाती तत्वों के मूँह पर तमाचा है और वे लोग जो राष्ट्रगान के इस्लाम विरोधी होने पर लिख रहे थे उनके लिए सबक है.
वन्दे मातरम
वन्दे मातरम
वन्दे मातरम
वन्दे मातरम
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मुस्लिम समुदाय को कट्टरपंथियों के गिरफ्त से बाहर निकालने के लिए यह एक सार्थक पहल है. जो कठमुल्ले मुस्लिम समुदाय को भेड़- बकरियां समझते रहे हैं उनको यह करार जवाब है.
जय हिंद
मुस्लिम जगत ही अब ऐसे कदम उठाएगा तभी इस देश में एकता स्थापित होगी। सभी को इस कदम के लिए बधाई।
अभ्यास करते रहें, आगे कब्रिस्तान में भी गाने का आदेश मिल सकता है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
एक सराहनीय कदम....
वाह !! अत्यंत सराहनीय प्रयास !!
मुझे नहीं लगता की चाहे वह मुस्लिम धर्मानुयायी हो या दुनिया के किसी भी धर्म पंथ को माननेवाला अपनी माता तथा मातृभूमि के लिए श्रद्धा का भाव नहीं रखता होगा या की किसी भी धर्म/पंथ में ऐसी श्रद्धा के लिए मनाही है.....तो वन्दे मातरम भी तो यही कहता है अपनी मातृभूमि के प्रति हम श्रद्धानत हैं और उसकी वंदना/प्रशंशा करते हैं...
आज कम से कम भारतीय मुसलमानों को चाहिए की वे अपनी कौम को अशिक्षा, गरीबी, धार्मिक उन्माद रूपी अंधकूप से निकालकर उसके विकास के लिए प्रतिबद्ध हो और यदि फतवा ही जरी करना है तो उन बेईमानों, उन्मादियों और जाहिलों के लिए फतवे सुनाएँ जो देश को उनकी कौम को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहा है..
चलो चलते हैं चलकर वतन पर जान देते हैं
बहुत आसां है बंद कमरे में वन्दे मातरम् कहना--- वन्दे ईश्वरम
साम्प्रदयिक शक्तियों के मुंह पर ऐसे ही तमाचा
मारना , बेहतर विकल्प है |
मैं इन इमाम साहब और इसमें शरीक तमाम लोगों
को झुक कर सजदा करता हूँ
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